नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरु कर दी है। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस गवई और जस्टिस सुभाष रेड्डी शामिल हैं।अनुच्छेद 370 के खिलाफ कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
जिन पूर्व अधिकारियों और नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनुच्छेद 370 हटाने को चुनौती दी है उनमें 2010-11 में गृह मंत्रालय के कश्मीर पर वार्ताकार राधा कुमार, पूर्व आईएएस अधिकारी हिंडाल तैयबजी, पूर्व एयर वाईस मार्शल कपिल काक, रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक मेहता और पूर्व आईएएस अमिताभ पांडे शामिल हैं। इनके अलावा अनुच्छेद 370 को लेकर जिन लोगों ने याचिका दायर की है उनमें जम्मू कश्मीर से नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी, कश्मीर के वकील शाकिर शब्बीर, वकील मनोहर लाल शर्मा, दिल्ली में जामिया युनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट मोहम्मद अलीम, कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन, शाह फैसल, शेहला रशीद, सीपीएम के जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक युसूफ तारिगामी, नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता डॉ. समीर कौल शामिल हैं।
पिछले 30 सितम्बर को कोर्ट ने नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता डॉ. समीर कौल की अनुच्छेद 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस याचिका को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था। बच्चों को हिरासत में रखने के मामले पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की जुवेनाईल जस्टिस कमेटी की रिपोर्ट कोर्ट को मिल गई है। इस मामले पर भी संविधान बेंच ही सुनवाई करेगी।
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